Wednesday, April 15, 2020

कॅरोना वायरस को लेकर कुछ महत्वपूर्ण तिथियां

कॅरोना वायरस को लेकर कुछ महत्वपूर्ण तिथियां ::

14 अप्रैल 2020 को सूर्य उच्च राशि मेष में हैं। राज दरबार खुलने का समय आ गया है। सारे सरकारी तंत्र में गति आएगी जिससे काफी रुकी हुई प्रक्रिया तेज़ी से कार्य करना शुरू कर देगी।

अब सब कुछ सरकार के नियंत्रण में है। जितनी सरकार ने इस वायरस से बचने की तैयारी की है उतनी ज़रूरत भी नहीं होगी।

24 से 26 अप्रैल 2020 तक प्रकृति में आत्म बल प्रधान होगा। सभी को लगने लगेगा कि कॅरोना वायरस गया गया अब गया।

04 मई को जब मंगल अपनी उच्च राशि (मकर) से कुम्भ में प्रवेश करेगा तो नीच भंग राज योग टूटेगा।

16 जून 2020 के बाद सारी व्यवस्था सुचारू रूप से चलने के योग बनेंगे। कॅरोना वायरस की वजह से होने वाले नुकसान में कमी आती दिखाई देगी।

राहु का उच्च राशि ( मिथुन ) से वृष राशि मे प्रवेश होते ही सारी घटनाये समाप्त होती दिखाई देंगी।

30 जून 2020 को गुरु वापस धनु में जाएंगे, जब वापस वो मकर में (अक्टूबर 2020 लगभग) आएंगे तब से अर्थ व्यवस्था ठीक होनी शुरू हो जाएगी।
मंगल से शनि की युति टूटने के कारण दोनों ही ग्रह इस वायरस की समाप्ति के कारण बनेंगे तथा दोनो स्वछंद रूप से कार्य करना शुरू करेंगे।

ध्यान रहे जब से राहु (मिथुन) उच्च का हुआ है तभी से देश मे अराजकता, हिंसा का वातावरण बना हुआ है। जगह जगह दंगे, महामारी, भूकंप जैसी दैवीय आपदा आई हैं इसके राशि परिवर्तन के साथ ये सब समाप्त हो जाएंगी ये निश्चित है।

निश्चित ही माननीय मोदी जी वो विश्व गौरव प्राप्त होगा ये पहले भी कह चुका हूं। उन्ही के संरक्षण में भारत विश्व गुरु बनकर आएगा आएगा ये निश्चित है।

सांकेतिक भाषा मे बात दु 2026 तक भारत विश्व गुरु बनकर पूरे संसार को राह दिखायेगा ये निश्चित है।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शखधार की डेस्क से

महिलाओं को चिंतित कर रहे गुरु...शुक्र सिखा रहे पाक कला

महिलाओं को चिंतित कर रहे गुरु...शुक्र सिखा रहे पाक कला
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से...

वर्तमान समय मे महिलाओ की स्थिति, शुभ तथा अशुभ प्रभाव

वर्तमान समय मे महिलाओ की स्थिति, शुभ तथा अशुभ प्रभाव

भारतवर्ष स्त्री प्रधान देश है,जिसकी स्थिर लग्न वृष लग्न ( स्त्री लग्न ) है।

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को स्त्री कारक ग्रह माना गया है।

नीच भंग राजयोग (गुरु नीच राशि मकर में, स्व राशि शनि तथा मकर में मंगल) तथा उच्च के राहु की स्थिति बंधन योग बनाती है।

शुभ स्थिति:

परिवार में महिलाओं की स्थिति की बहुत महत्व रखती है। महिलाएं परिवार की शक्ति होती है जो मकान को घर बनाती है।

केंद्र में स्व राशि का शुक्र मालव्य योग का निर्माण कर रहा है जो कि गागर में सागर भरने वाली बात होती है।

वृष राशि में शुक्र की स्थिति स्त्रियों की शक्ति बढ़ाती है, शक्ति की उपासना के कारण ही सृष्टि का निर्माण हुआ है।

अभी नव रात्रि का पर्व निकला है जिसमे भगवती की साधना के फल स्वरूप उत्पन्न ऊर्जा राष्ट्र रक्षा कर रही है।

अशुभ प्रभाव:

  नीच राशि में गुरु की पांचवी दृष्टि स्वराशि शुक्र पर पड़ने से स्त्रियों की भोजन बनाने में दक्षता बड़ी है, इसके साथ ही अत्यधिक चिंता का कारण बनी है क्योंकि शुक्र ग्रह धान्य आदि का कारक भी है जिसमे कमी आयी है।

मकर के गुरु की दृष्टि स्व राशि शुक्र पर पड़ने से बौद्धिक रूप से, धन धान्य की कमी लाती है, चंद्रमा पर पाप ग्रह की दृष्टि पड़ने से मन परेशान रहता है जिसके फल स्वरूप व्यवहार भी प्रतिकूल हो जाता है, जो कि कभी कभी घरेलू हिंसा का कारक बनता है।

घर मे अच्चानक बढ़े हुए कार्य की स्थिति तथा बंधन का होना, भविष्य के प्रति अत्यधिक चिंता का होना शांति भंग का कारण बनता है।

मानसिक शांति का कारक चंद्र जब भी किसी पाप ग्रह से दृष्टि संबंध बनाता है या पाप ग्रहों के साथ होता है तो शारीरिक तथा मानसिक विकृति देता है जिससे नकारात्मक स्वभाव, छोटी बातों पर बहस होना तथा अनावश्यक रूप से शांति भंग होना होता है।

इसी कारण सब कुछ सही होते हुए भी धर्म तथा अध्यात्म के अभाव में मानसिक और शारीरिक शांति भंग होती है तथा कलह की स्थिति बनती है।

काल प्रमाण है कि अभाव में ही विशेषताएं विकसित होती हैं, अशुभता को शुभता में बदलने के लिए अपनी अपनी विशेषताओं को और विकसित कर सकते हैं।

नकारात्मक विचारों में समय विपरीत है पर सकारात्मक विचारो के लिए अपनी प्रतिभा को विकसित करने का सबसे शुभ समय यही है।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से

Sunday, April 5, 2020

05 अप्रैल 2020 दीपोत्सव या दीपदान यज्ञ - (तमोगुण से सतोगुण लाने का एक प्रयोग)

05 अप्रैल 2020 दीपोत्सव या दीपदान यज्ञ  -  (तमोगुण से सतोगुण लाने का एक प्रयोग)

 दीपदान दीपोत्सव एक तरह का पर्व होता है।  इस पर्व में लाखों दीपक जलाने का विधान है।

 प्रकाश के माध्यम से निश्चित समय, निश्चित संख्या में दीपक को एक साथ जलाया जाता है इससे विश्व शांति के लिए भगवान से प्रार्थना की जाती हैं।

 इस यज्ञ में दीपक संघर्ष का कारक होता है, तेल/घी चिकनाई / स्निग्घधता का तथा पात्र पात्रता का कारक होता है।

 योग वशिष्ट के छठे सर्ग में *अज्ञान महात्म्य में सामूहिक चेतना (Collective counsiouscess) को बताया है। इसमे सूर्य को दीप के माध्यम से तमोगुण के नाश का वर्णन है।

क्वांटम भौतिकी सिद्धांत (Quantum physics principle)  में यह बताया गया है की 5 % लोग जो सोचते हैं वह 95 %  लोग वही करते हैं।

सामूहिक प्रार्थना को सामूहिक रूप से करने से सामूहिक रूप से शांति प्राप्त होगी ये शास्त्र विधान है, इसलिए ये आयोजन किया गया।

ज्योतिष के हिसाब से सूर्य का अपनी उच्च राशि मे अग्रसर होने के कारण ये प्रयोजन और दिव्य रूप लेता है। सूर्य की उच्चता उच्च के  राहु का असर कम करके इस महामारी को न्यूनता के स्तर पर लाने में सक्षम होगा।

चन्द्रमा 5 अप्रैल 2020 में  पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र सिंह राशि मे रहेगा और शनि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र मकर राशि में रहेगा।

 श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने मन के पांचवे स्तर (ऋतंभरा प्रज्ञा) के माध्यम से इसे बताया है।

इसमें घी और तेल के दीए का ही महत्व है तथा इसके ना होने पर आप मोमबत्ती का प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि हर पदार्थ की अपनी अलग गंध अपना अलग स्वरूप होता है।

घी का दीपक सतोगुण को बढ़ाने वाला तथा तेल का दीपक बीमारियों को नष्ट करने वाला तथा पाप ग्रह के अशुभ प्रभाव को रोकने में सक्षम होता है।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से

Wednesday, April 1, 2020

आज मंगल शनि से युति बनाये हुए शनि से कम अंश ओर हैं। जैसे ही मंगल शनि के अंश समान (1 अप्रैल 2020) हो जाएंगे मंगल को दण्डात्मत तथा निर्णयात्मक दोनो तरह की शक्तियां प्राप्त होंगी। यहां शनि ( प्रशासनिक ) तथा मंगल ( वर्दी वाले लोग ) हैं।

आज मंगल शनि से युति बनाये हुए शनि से कम अंश ओर हैं। जैसे ही मंगल शनि के अंश समान (1 अप्रैल 2020) हो जाएंगे मंगल को दण्डात्मत तथा निर्णयात्मक दोनो तरह की शक्तियां प्राप्त होंगी। यहां शनि ( प्रशासनिक ) तथा मंगल ( वर्दी वाले लोग ) हैं।

आज गुरुदेव मकर राशि मे आ गए हैं। प्रकृति भी बदलने को तैयार है। भारत को इतना नुकसान नहीं होगा जितना और देशो में हुआ है क्योंकि भारत संतो की भूमि है।

एक रिसर्च में ये देखा जा सकता है कि जहां जहां गंगा का किनारा होगा वहां वहां इस तरह की बीमारी नहीं फैल सकती। यदि ऐसा होता है तो जल्दी ही लोग सही होंगे। ये उन उन शहरों में अधिक फैला है जहां पर गंगा नहीं हैं।

सनातन धर्म मे पांच तरह के ग मुक्ति के कारक माने गए।
गुरु, गायत्री, गंगा, गीता, गाय।

इनमे से व्यक्ति किसी की सेवा कर ले तो निश्चित ही मुक्त होगा इसमे संशय नहीं।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से

आज 26 मार्च 2020 है, उच्च के मंगल को आज शनि के साथ कार्य करते हुए देख ही लिया होगा आप सबने। मैंने पहले ही कहा था कि मंगल के आते ही सारी चीज़ें व्यवस्थित होने लगेंगी।

आज 26 मार्च 2020 है, उच्च के मंगल को आज शनि के साथ कार्य करते हुए देख ही लिया होगा आप सबने। मैंने पहले ही कहा था कि मंगल के आते ही सारी चीज़ें व्यवस्थित होने लगेंगी।
सेनापति ( मंगल ) के आने से सारी फ़ोर्स कितनी तेज़ी से कार्य कर रही है।

4 अप्रैल को मंगल न्यायकारी भी हो जाएंगे और फैसला तुरंत किया जाएगा।

 छिपे हुए लोगो को पकड़ लिया जाएगा। भरपूर शक्ति का प्रयोग किया जाएगा। बहुत तेज़ी से सारे षड्यंत्र खुल कर सामने आ जाएंगे।

30 मार्च की सुबह गुरु के मकर में आते ही व्यवस्था बनाये रखने की तैयारी हो रही है। उसी व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी तरह की फ़ोर्स बहुत अच्छा कार्य करेंगी।

मई 2001 में भी राहु उच्च अवस्था मे थे और मंगल उनके सामने से दृष्टि संबंध बनाए हुए थे। तब भी किसी तरह का संक्रमण फैला था।

आज मंगल और राहु आपस में छठे और आठवे हैं इसलिए सारे दोषो को दूर करते हुए दोनों ही व्यवस्ता सम्हालने में सहायक होंगे।

अंत मे मेरा आप सभी से ये ही निवेदन है, राष्ट्र सर्व प्रथम है। आप राष्ट्र के, अपने समाज के तथा अपने परिवार के कल्याण हेतु हर सरकारी आदेश का पालन करे इसी में देश का भला है और स्वयं का भी।

याद रहे सेनापति ने सत्ता हाथ मे ले ली है सबकी भलाई है कि उनका साथ दिया जाए नहीं तो अंजाम भुगतने को तैयार रहिये।

उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से