Thursday, October 8, 2020

राहु का राशि परिवर्तन 23 सितम्बर 2020

  राहु का राशि परिवर्तन 23 सितम्बर 2020

 


 

राहु का राशि परिवर्तन 23 सितम्बर 2020

 राहु का राशि परिवर्तन 23 सितम्बर 2020


सूर्य का दक्षिणायन में प्रवेश : शीत ऋतु का आरंभ।

23 सितंबर 2020 को राहु और केतु ग्रह का गोचर होने वाला है। इस दिन राहु वक्री होकर मिथुन से वृषभ राशि में जाएगा। साथ ही केतु धनु से वृश्चिक राशि में परिवर्तन कर रहा है। राहु ग्रह  सुबह 5 बजकर 28 मिनट पर वृष राशि में प्रवेश करेगा, केतु सुबह 7 बजकर 38 मिनट पर वृश्चिक राशि में होगा। इन राशियों में ये दोनों ही ग्रह 12 अप्रैल 2022 तक स्थित रहेंगे।

प्रथम चंद्र अश्विन में पांच बृहस्पतिवार होने से देश के पश्चिमी भागों जैसे कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात प्रदेशों में कई उपद्रव आतंक विस्फोटक एवं हिंसक घटनाएं घटित होने के संकेत।

 कुछ प्रदेशों में उपर्युक्त वर्षा की कमी रहे, प्राकृतिक प्रकोप से जन धन संपदा को हानि पहुंचे।

अश्विन अधिक मास कथा द्वितीय चंद्र अश्विन मास में पांच शुक्रवार तथा पांच शनिवार होने से धन संपदा का प्रसार तथा अपव्यय बढ़ेगा।

 विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के मध्य विग्रह टकराव गतिरोध की स्थिति बनेगी।

 केंद्रीय नीति निर्णय का कारण विरोध किया जाएगा जिससे विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब होगा।

दिनांक 17 को शनिवारी संक्रांति तथा 17 से ही सूर्य पर शनि की विशेष दशम तथा मंगल की अष्टम दृष्टि, मंगल पर शनि की तृतीय दृष्टि तथा मंगल शुक्र के मध्य समसप्तक योग रहने से किसी प्रदेश में *सत्ता परिवर्तन उपद्रव तथा हिंसक घटनाएं घटित होंगी।

 कहीं अतिवृष्टि कहीं अल्प दृष्टि तथा प्राकृतिक आपदाओं के कारण वस्तुओं में कमी के कारण मूल्यों में तेजी रहे।

राहु ग्रह के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए सभी राशियों वाले जातकों को सुंदरकांड, किष्किंधा कांड, भैरव जी, गणेश जी तथा भगवती काली की साधना शास्त्रोक्त है, इन देवी देवताओं की साधना से जातकों का कल्याण निश्चित है, तथा राहु केतु  से होने वाले विपरीत परिणामों का शमन होता है।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से

पित्रकर्मा अमावस्या या पित्रविसर्जनी अमावस्या या महालया 17 सिंतबर 2020

 पित्रकर्मा अमावस्या या पित्रविसर्जनी  अमावस्या या महालया  17 सिंतबर 2020

पितरो का ऋण चुकाने का अंतिम दिन।

इन दिनों लोग अपने पितरों को जल देते हैं, तथा उनकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं।

पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने की विधि है।

श्राद्ध का अर्थ है, श्रद्धा से जो दिया जाए

जिनकी मृत्यु तिथि मालूम न हो, उनका और अन्य सभी पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण का दिन।

 अधिकमास आरम्भ  18 सितंबर 2020

अधिक मास अश्विन में पड़ने से चातुर्मास हुआ 5 मास।

इस मास एक महीने देर से होंगे नव दुर्गा व्रत।अगले महीने 17 अक्टूबर 2020 से नवरात्रि शुरू होगी।

ज्योतिषीय अवधारणा:

 भारतीय हिंदू कैलेंडर सौर मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है।

 अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है।

इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है।

 भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है।

 दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है।

इसी अंतर को संयमित करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास का नाम दिया गया है।

इस मास के दौरान हिंदू धर्म के विशिष्ट शुभ संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और सामान्य धार्मिक संस्कार जैसे गृहप्रवेश, नई बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदी आदि निषेध होते हैं। मलिन मानने के कारण ही इस मास का नाम मल मास पड़ गया है।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से

ग्रहों का परिवर्तन साल 2020 का सबसे बड़े परिवर्तन


 

सितंबर 2020 राहु, केतु का राशी परिवर्तन के साथ 3 अन्य ग्रहों का राशी परिवर्तन साल 2020 का सबसे बड़े परिवर्तन में से एक।

 

सितंबर 2020 राहु, केतु का राशी परिवर्तन के साथ 3 अन्य ग्रहों का राशी परिवर्तन

साल 2020 का सबसे बड़े परिवर्तन में से एक।



जन्म अष्टमी 2020

 जन्म अष्टमी 2020

भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में कृष्णा जन्म।

11 अगस्त को स्मार्त तथा 12 अगस्त को वैष्णव लोग मनाएंगे।

अष्टमी तिथि प्रारम्भ : 11 अगस्त सुबह 9:06 बजे से - 12 अगस्त प्रातः 11:17 मिनट।

  नक्षत्र तथा तिथि का संयोग न मिलने के कारण 2 दिन की मनाई जाएगी।

12 अगस्त को कृतिका नक्षत्र लगेगा। चंद्रमा मेष राशि और सूर्य कर्क राशि तथा
कृतिका नक्षत्र में होगा वृद्धि योग का निर्माण जो अत्यंत शुभ होगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा।

पूजा का समय बुधवार (12 अगस्त 2020) की रात 12.05 बजे से 12.47 बजे तक।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से

रक्षाबंधन 03 अगस्त 2020 सोमवार

 रक्षाबंधन 03 अगस्त 2020 सोमवार  सावन का पांचवा आखिरी सोमवार।



 गायत्री जयंती का पर्व।

03 अगस्त 2020 से सुबह 9:28 के बाद रक्षाबंधन का मुहूर्त रात्रि 9:57 तक।

दोपहर 02 बजे से शाम 7 बजे तक चर, लाभ तथा अमृत योग।

ज्योतिष की अवधारणा :

सुबह 7:18 से सर्वार्थ सिद्धि योग होगा।

 3 अगस्त 2020 चंद्र का मकर राशि में रमण, प्रीति योग का निर्माण तथा सुबह 6:40 के बाद आयुष्मान योग का निर्माण।

 29 साल बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग।

 चंद्रमा अपने श्रवण नक्षत्र में, शनि सूर्य के साथ समसप्तक योग।

गुरु शुक्र के साथ समसप्तक योग।

 सभी ग्रह आयु बढ़ाने के कारण भाइयों और बहनों दोनों की आयु बढ़े।

रक्षाबंधन का पवित्र पर्व भद्रा रहित अपराह्न व्यापिनी श्रावण पूर्णिमा में करने का विधान है -

भद्रायाम द्वे न कर्तव्ये श्रावणी - फाल्गुनी तथा....।

 यदि सूर्योदय बाद उदय काल में त्रिमुहूर्त व्यापिनी पूर्णिमा हो तथा अपराह्न काल से पहले ही समाप्त हो रही हो, तब भी दूसरे दिन अपराह्न काल या प्रदोष काल में रक्षाबंधन करना चाहिए ।

यदि दूसरे दिन पूर्णिमा त्रिमुहूर्त व्यापिनी ना हो, तब पहले दिन भद्रा समाप्त हो जाने के बाद प्रदोष आदिकाल में रक्षाबंधन करना चाहिए।

 भद्रा में श्रावणी और फाल्गुनी दोनों ही वर्जित हैं, क्योंकि श्रावणी से राजा का और फाल्गुनी से प्रजा का अनिष्ट होता है।

 आवश्यक परिस्थितिवश यदि भद्राकाल में ही रक्षाबंधन आदि शुभ कार्य करना पड़े तो शास्त्रकारो ने भद्रा मुखकाल को छोड़कर भद्रा पुच्छ काल में रक्षाबंधन शुभ कार्य करने की आज्ञा दी है।

 भविष्य पुराण में भद्रा के पूछकाल मे किए गए कृत्य में सिद्धि और विजय होती है, जबकि भद्रा मुख में कार्य का नाश होता है।

पूछे जयावहा: , मुखे कार्य विनाशाय....।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से