Thursday, October 8, 2020

पित्रकर्मा अमावस्या या पित्रविसर्जनी अमावस्या या महालया 17 सिंतबर 2020

 पित्रकर्मा अमावस्या या पित्रविसर्जनी  अमावस्या या महालया  17 सिंतबर 2020

पितरो का ऋण चुकाने का अंतिम दिन।

इन दिनों लोग अपने पितरों को जल देते हैं, तथा उनकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं।

पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने की विधि है।

श्राद्ध का अर्थ है, श्रद्धा से जो दिया जाए

जिनकी मृत्यु तिथि मालूम न हो, उनका और अन्य सभी पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण का दिन।

 अधिकमास आरम्भ  18 सितंबर 2020

अधिक मास अश्विन में पड़ने से चातुर्मास हुआ 5 मास।

इस मास एक महीने देर से होंगे नव दुर्गा व्रत।अगले महीने 17 अक्टूबर 2020 से नवरात्रि शुरू होगी।

ज्योतिषीय अवधारणा:

 भारतीय हिंदू कैलेंडर सौर मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है।

 अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है।

इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है।

 भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है।

 दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है।

इसी अंतर को संयमित करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास का नाम दिया गया है।

इस मास के दौरान हिंदू धर्म के विशिष्ट शुभ संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और सामान्य धार्मिक संस्कार जैसे गृहप्रवेश, नई बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदी आदि निषेध होते हैं। मलिन मानने के कारण ही इस मास का नाम मल मास पड़ गया है।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से

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