श्रावण मास ( शिव कृपा प्राप्त करने का त्योहार ) 06 जुलाई 2020
सर्वार्थ सिद्ध योग में सावन मास का आगमन :
सावन का महीना 6 जुलाई से शुरू हो रहा है. सावन का यह महीना 3 अगस्त को खत्म होगा। इस वर्ष सावन या फिर श्रावण मास में 5 सोमवार हैं।
स्कन्द पुराण के अनुसार श्रावण माह से ही भगवान शिव की कृपा के लिए सोलह सोमवार के उपवास आरंभ किए जाते हैं।
सोमवार का दिन भगवान शंकर का प्रिय है।
श्रावण मास भगवान शिव को प्रिय होने के कारण से पूजा का विशेष महत्व है, इस मास में लघु रूद्र, महारुद्र अथवा अति रुद्र पाठ कराने का विधान है।
श्रावण मास में इस बार 5 सोमवार पड़ने के कारण यह मास अत्यंत दिव्य हो जाता है।
सावन का चालीसा भी गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से प्रारंभ करने का विधान है।
इस चालीसा में पूजन के पश्चात एक बार ही भोजन करने का विधान है, भगवान शिव का यह मास सभी मनोकामना को पूर्ण करने वाला होता है।
करोना महामारी के चलते शास्त्र में मानसिक पूजा का भी प्रावधान है शिव मानस पूजा से तात्पर्य शिव का मन में ध्यान करने से है, शिव स्त्रोत रुद्राष्टकम, शिव मानस पूजा, शिव तांडव स्त्रोत अपने आप में पूर्ण हैं।
साधना विशेष
कार्य पूर्ति के लिए संकल्प लेकर शिव कृपा प्राप्त करने के लिए पंचाक्षर मंत्र रुद्राक्ष की माला से जपने का नियम है।
एक समय भोजन का प्रावधान है।
मौन साधना तथा ध्यान साधना के कारक सदा शिव ही कहे गए।
गृहस्थ हो या सन्यासी शिव की कृपा से ही सांसारिक, शारीरिक, आध्यात्मिक कृपाये प्राप्त होती हैं।
शैव सम्प्रदाय तथा नाथ सम्प्रदाय के लिए ये दिन किसी उत्सव से कम नहीं होते।
श्रावण मास विशेष साधना उत्सव 06 जुलाई 2020
300 साल बाद बना ये संयोग,
2 शिव प्रदोष,
सोमवती अमावस्या भी सोमवार को
रक्षा बंधन भी सोमवार को।
सोमवार के दिन पुष्य नक्षत्र का आना सोम पुष्य कहलाता है।
अमावस्या की रात सोमपुष्य के साथ सर्वार्थसिद्घि योग मध्य रात्रि साधना के लिए विशेष है।
27 जुलाई को चौथे सोमवार पर सप्तमी उपरांत अष्टमी तिथि रहेगी, साथ ही चित्रा नक्षत्र व साध्य योग होने से यह संकल्प सिद्घि व संकटों की निवृत्ति के लिए खास बताया गया है।
रक्षाबंधन पर दिन भर श्रवण नक्षत्र श्रावणी पूर्णिमा रक्षा बंधन पर सुबह उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा।
तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र का होना महा शुभफलदायी माना जाता है।
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से
सर्वार्थ सिद्ध योग में सावन मास का आगमन :
सावन का महीना 6 जुलाई से शुरू हो रहा है. सावन का यह महीना 3 अगस्त को खत्म होगा। इस वर्ष सावन या फिर श्रावण मास में 5 सोमवार हैं।
स्कन्द पुराण के अनुसार श्रावण माह से ही भगवान शिव की कृपा के लिए सोलह सोमवार के उपवास आरंभ किए जाते हैं।
सोमवार का दिन भगवान शंकर का प्रिय है।
श्रावण मास भगवान शिव को प्रिय होने के कारण से पूजा का विशेष महत्व है, इस मास में लघु रूद्र, महारुद्र अथवा अति रुद्र पाठ कराने का विधान है।
श्रावण मास में इस बार 5 सोमवार पड़ने के कारण यह मास अत्यंत दिव्य हो जाता है।
सावन का चालीसा भी गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से प्रारंभ करने का विधान है।
इस चालीसा में पूजन के पश्चात एक बार ही भोजन करने का विधान है, भगवान शिव का यह मास सभी मनोकामना को पूर्ण करने वाला होता है।
करोना महामारी के चलते शास्त्र में मानसिक पूजा का भी प्रावधान है शिव मानस पूजा से तात्पर्य शिव का मन में ध्यान करने से है, शिव स्त्रोत रुद्राष्टकम, शिव मानस पूजा, शिव तांडव स्त्रोत अपने आप में पूर्ण हैं।
साधना विशेष
कार्य पूर्ति के लिए संकल्प लेकर शिव कृपा प्राप्त करने के लिए पंचाक्षर मंत्र रुद्राक्ष की माला से जपने का नियम है।
एक समय भोजन का प्रावधान है।
मौन साधना तथा ध्यान साधना के कारक सदा शिव ही कहे गए।
गृहस्थ हो या सन्यासी शिव की कृपा से ही सांसारिक, शारीरिक, आध्यात्मिक कृपाये प्राप्त होती हैं।
शैव सम्प्रदाय तथा नाथ सम्प्रदाय के लिए ये दिन किसी उत्सव से कम नहीं होते।
श्रावण मास विशेष साधना उत्सव 06 जुलाई 2020
300 साल बाद बना ये संयोग,
2 शिव प्रदोष,
सोमवती अमावस्या भी सोमवार को
रक्षा बंधन भी सोमवार को।
सोमवार के दिन पुष्य नक्षत्र का आना सोम पुष्य कहलाता है।
अमावस्या की रात सोमपुष्य के साथ सर्वार्थसिद्घि योग मध्य रात्रि साधना के लिए विशेष है।
27 जुलाई को चौथे सोमवार पर सप्तमी उपरांत अष्टमी तिथि रहेगी, साथ ही चित्रा नक्षत्र व साध्य योग होने से यह संकल्प सिद्घि व संकटों की निवृत्ति के लिए खास बताया गया है।
रक्षाबंधन पर दिन भर श्रवण नक्षत्र श्रावणी पूर्णिमा रक्षा बंधन पर सुबह उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा।
तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र का होना महा शुभफलदायी माना जाता है।
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से
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