देव शयनी एकादशी 1 जुलाई 2020
सिद्ध योग में बन रहा देव शयनोत्सव - सभी शुभ कार्य पर लगा विराम।
देवशयनी एकादशी को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे- हरिशयनी, शयनी, पद्मा तथा पद्मनाभा एकादशी आदि।
भगवान विष्णु का शयन काल अर्थात चातुर्मास प्रारंभ।
एकादशी चंद्र मास में आने वाली ग्यारहवीं तिथि होती है।
हर चंद्र मास में दो एकादशी होती हैं एक शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी।
प्रदोष व त्रियोदशी तिथि जहां भगवान शिव को समर्पित मानी गई हैं, वहीं एकादशी व पूर्णमासी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित हैं।
आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को आषाढ़ी एकादशी कहते हैं।
इस वर्ष यानि 2020 में ये एकादशी 01 जुलाई, 2020 (बुधवार) को पड़ रही है।
आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक का चार माह का समय देवशयन का काल समझा जाता है।
वर्षा के इन चार माहों का संयुक्त नाम चातुर्मास दिया गया है।
इसके दौरान जितने भी पर्व, व्रत, उपवास, साधना, आराधना, जप-तप किए जाते हैं, उनका विशाल स्वरूप एक शब्द में 'चातुर्मास्य' कहलाता है।
निषेध कार्य:
इन चार माहों के दौरान शादी-विवाह, उपनयन संस्कार व अन्य मंगल कार्य वर्जित बताए गए हैं। चार मास की अवधि के पश्चात देवोत्थान एकादशी को भगवान जागते हैं।
25 नवंबर 2020 देव उठान एकादशी से ही शुभ कार्य होंगे सम्पन्न।
क्या करें, क्या ना करे:
मधुर स्वर के लिए गुड़ नहीं खायें।
दीर्घायु अथवा पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति के लिए तेल का त्याग करें।
वंश वृद्धि के लिए नियमित दूध का सेवन करें।
पलंग पर शयन ना करें।
शहद, मूली, परवल और बैंगन नहीं खायें।
किसी अन्य के द्वारा दिया गया दही-भात नहीं खायें।
विशेष कृपा प्राप्ति के लिए विशेष अनुष्ठान:
समस्त सृष्टि के पालन पोषण करने वाले देव विष्णु की विशेष साधनाओ के माध्यम से विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का अनुष्ठान करने से, मन मे किसी विशेष कार्य की सिध्धि के लिए ये विशेष समय सिद्ध होगा।
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से
सिद्ध योग में बन रहा देव शयनोत्सव - सभी शुभ कार्य पर लगा विराम।
देवशयनी एकादशी को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे- हरिशयनी, शयनी, पद्मा तथा पद्मनाभा एकादशी आदि।
भगवान विष्णु का शयन काल अर्थात चातुर्मास प्रारंभ।
एकादशी चंद्र मास में आने वाली ग्यारहवीं तिथि होती है।
हर चंद्र मास में दो एकादशी होती हैं एक शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी।
प्रदोष व त्रियोदशी तिथि जहां भगवान शिव को समर्पित मानी गई हैं, वहीं एकादशी व पूर्णमासी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित हैं।
आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को आषाढ़ी एकादशी कहते हैं।
इस वर्ष यानि 2020 में ये एकादशी 01 जुलाई, 2020 (बुधवार) को पड़ रही है।
आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक का चार माह का समय देवशयन का काल समझा जाता है।
वर्षा के इन चार माहों का संयुक्त नाम चातुर्मास दिया गया है।
इसके दौरान जितने भी पर्व, व्रत, उपवास, साधना, आराधना, जप-तप किए जाते हैं, उनका विशाल स्वरूप एक शब्द में 'चातुर्मास्य' कहलाता है।
निषेध कार्य:
इन चार माहों के दौरान शादी-विवाह, उपनयन संस्कार व अन्य मंगल कार्य वर्जित बताए गए हैं। चार मास की अवधि के पश्चात देवोत्थान एकादशी को भगवान जागते हैं।
25 नवंबर 2020 देव उठान एकादशी से ही शुभ कार्य होंगे सम्पन्न।
क्या करें, क्या ना करे:
मधुर स्वर के लिए गुड़ नहीं खायें।
दीर्घायु अथवा पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति के लिए तेल का त्याग करें।
वंश वृद्धि के लिए नियमित दूध का सेवन करें।
पलंग पर शयन ना करें।
शहद, मूली, परवल और बैंगन नहीं खायें।
किसी अन्य के द्वारा दिया गया दही-भात नहीं खायें।
विशेष कृपा प्राप्ति के लिए विशेष अनुष्ठान:
समस्त सृष्टि के पालन पोषण करने वाले देव विष्णु की विशेष साधनाओ के माध्यम से विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का अनुष्ठान करने से, मन मे किसी विशेष कार्य की सिध्धि के लिए ये विशेष समय सिद्ध होगा।
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से
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