Sunday, July 19, 2020

सोमवती अमावस्या 20 जुलाई 2020

सोमवती अमावस्या 20 जुलाई 2020

20 साल बाद बना शुभ संयोग। इससे पहले 31 जुलाई 2000 में ऐसा संयोग बना था।

सावन के तीसरे सोमवार और सोमवती अमावस्या एक ही दिन है। सोमवार को पडने के कारण सोमवती अमावस्या कहलाई।

इस अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहते है।

ज्योतिषीय अवधारणा:

सोमवारे स्वमावस्या तत्रैव बहुपुण्यदा।
विप्राणां भोजनं देयं तत्र पुण्य फलेप्सभि: ।।

पुरुषार्थ चिंतामणी के अनुसार यदि अमावस्या सोमवार , मंगलवार या गुरुवार को हो तो उस योग को पुष्कर योग कहते हैं।  इन योगों का फल सूर्य ग्रहण में किए हुए स्नान, दान, पुण्य आदि से भी सौ गुना अधिक माना गया है।

 सिख धर्म के अनुसार श्री अमृतसर आनंदपुर साहिब, कीरतपुर साहिब, आदि तीर्थों पर भी अमावस्या को स्नान दान का विशेष महत्व है।

 सोमवती अमावस्या के योग में यदि चंद्रमा अश्विनी, पुनर्वसु, मूल, रोहिणी, विशाखा, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, श्रवण इन नक्षत्रों में से किसी एक में हो तो, ऐसे योग में तैयार की गई जड़ी बूटी अनेक प्रकार के कायिक और मानसिक रोगों में लाभकारी होती है।

 सोमवती अमावस्या के विशिष्ट योग में पितृदोष की शांति, धन-संपत्ति परेशानी, लड़के लड़की के विवाह में विलंब, संतान कष्ट, आदि बाधाएं एवं धार्मिक तथा आध्यात्मिक क्षेत्र में आत्म शुद्धि, स्नान, दान, जप पाठ की दृष्टि से विशेष महत्व है।

अमसोमेन संयुक्ता कदाचिद यदि लभ्यते।
तस्यां सोमेश्वरं दृष्ट्वा कोटियज्ञ फलं लभेत।।      - (स्कन्द पुराण)

 सोमवती अमावस्या को तीर्थ, स्नान, जप पाठ एवं ब्राह्मणों को भोजन वस्त्र दक्षिणा सहित दान करना विशेष पुण्य प्रद माना गया।

श्रावण का मास को शिवत्व को जाग्रत होने की साधना का है, विशेष पर्व है।

सोमवार को चन्द्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह भी अपनी राशि में रहेंगे।

अमावस्या तिथि में तिथि तथा तर्पण का समय:

अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 20 जुलाई 2020 को 12:10 प्रातः से।

अमावस्या तिथि समाप्त - 20 जुलाई 2020 को रात्रि 11:02 तक।


ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से

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